हिंदी साहित्य टॉपिक अनुसार प्रश्न 1979-2024 | Hindi Literature Optional Topic Wise PYQs UPSC

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वैकल्पिक विषय - हिन्दी साहित्य: टॉपिक अनुसार प्रश्न – Topic Wise Previous Year Questions - PYQs (1979-2023)

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UPSC हिंदी साहित्य की तैयारी में पूर्व वर्षों के प्रश्न (PYQs) का योगदान

UPSC की चयन प्रक्रिया कठिन है और इसमें से एक चरण है मुख्य परीक्षा, जिसमें सामान्य अध्ययन के विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। हिंदी साहित्य एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक विषय है। पूर्व वर्षों के प्रश्न (PYQs) हिंदी साहित्य की तैयारी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस ब्लॉग में हम यहां देखेंगे कि पूर्व वर्षों के प्रश्नों का हिंदी साहित्य की तैयारी में कैसा महत्वपूर्ण योगदान है।

1. परीक्षा के पैटर्न को समझने में मददगार: पूर्व वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन करने से आपको UPSC हिंदी साहित्य के परीक्षा पैटर्न को समझने में मदद मिलेगी। आपको पता चलेगा कि कौन-कौन से विषयों पर ज्यादा ध्यान देना है, कौन-कौन सी किताबें पढ़नी हैं और किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।

2. प्रश्नों के पैटर्न को समझने में सहायता: पूर्व वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन करके आपको पता चलेगा कि कौन-कौन से प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं और आपको उन्हें कैसे हल करना है। इससे आप अपनी प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाने के लिए उचित तैयारी कर सकते हैं।

3. विषय क्षेत्र के गहराई में विशेषज्ञता: पूर्व वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन करने से आपको यह पता चलेगा कि हिंदी साहित्य में किस स्तर की विशेषज्ञता प्राप्त करनी होगी। आप विषय क्षेत्र के अधिकांश पहलुओं को समझेंगे और उन्हें गहराई से अध्ययन कर सकेंगे।

4. आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक: पूर्व वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन करने से आपको आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जब आप प्रश्नों को समझेंगे और उन्हें हल कर पाएंगे, तो आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप अपनी तैयारी को लेकर आत्मनिर्भर होंगे।

5. अभ्यास के लिए संपर्क बिंदु: पूर्व वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन करने से आपको अभ्यास के लिए संपर्क बिंदु मिलेंगे। आपको प्रत्येक प्रश्न को समझने और हल करने के लिए समय देना होगा, जिससे आपकी सामरिकता बढ़ेगी और आप विषय क्षेत्र में अधिक माहिर होंगे।

इस तरह, पूर्व वर्षों के प्रश्न (PYQs) हिंदी साहित्य की तैयारी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह आपको परीक्षा पैटर्न को समझने, प्रश्नों के पैटर्न को समझने, विषय क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने, आत्मविश्वास को बढ़ाने और अभ्यास के लिए संपर्क बिंदु प्रदान करते हैं। इसलिए, UPSC हिंदी साहित्य की तैयारी के लिए पूर्व वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

तो आप आगामी UPSC परीक्षा की तैयारी में पूर्व वर्षों के प्रश्नों का उपयोग करें और अपनी तैयारी को और बेहतर बनाएं। याद रखें, निरंतर अभ्यास और समय-समय पर रिवीजन करना और अच्छे मॉक टेस्ट देना भी महत्वपूर्ण है। आपकी सफलता के लिए PYQs को सही तरीके से उपयोग करें और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें। शुभकामनाएं!

 

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पाठ्यक्रम

प्रश्नपत्र-1

प्रश्नपत्र-2

 

पूर्व वर्षों के प्रश्न: प्रश्नपत्र-1 खंड : ‘क’ (हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का इतिहास)

 

P 1 क 1. अपभ्रंश, अवहट्ट और प्रारंभिक हिन्दी का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त स्वरूप।

अपभ्रंश का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त स्वरूप।

अवहट्ट का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त स्वरूप।

प्रारंभिक हिन्दी का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त स्वरूप।

मिले जुले प्रश्न

P 1 क 2. मध्यकाल में ब्रज और अवधी का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास।

अवधी

ब्रज

ब्रजभाषा और अवधी

ब्रजभाषा, अवधी और खड़ी बोली

उत्तर भारत में भक्ति और सूफ़ी आंदोलन में सहायक हिन्दी भाषा रूप

P 1 क 3. सिद्ध एवं नाथ साहित्य, खुसरो, संत साहित्य, रहीम आदि कवियों और दक्खिनी हिन्दी में खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप।

सिद्ध एवं नाथ साहित्य  और खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप

खुसरो और खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप

संत साहित्य और खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप

रहीम और खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप

दक्खिनी हिन्दी और खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप

भक्तिकालीन हिन्दी

P 1 क 4. उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली और नागरी लिपि का विकास।

उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली

उन्नीसवीं शताब्दी में नागरी लिपि

P 1 क 5. हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का मानकीकरण।

हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का मानकीकरण

देवनागरी लिपि का स्वरुप

हिन्दी भाषा के मानकीकरण में नागरी लिपि के योगदान

हिन्दी भाषा के स्वरूप-निर्धारण में साहित्यकारों के योगदान

P 1 क 6. स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी का विकास।

राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी

हिन्दी के प्रयोग की प्रमुख चुनौतियां और समाधान

स्वतंत्रता आन्दोलन और हिन्दी

व्यक्तित्वों के योगदान

संस्थाओं के योगदान

P 1 क 7. भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिन्दी का विकास।

राजभाषा के रूप में हिन्दी

राजभाषा और राष्ट्रभाषा

हिन्दी की वर्तमान स्थिति

हिन्दी के प्रयोग की प्रमुख चुनौतियां और समाधान

प्रयास

P 1 क 8. हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक और तकनीकी विकास।

पारिभाषिक शब्दावली

हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक विकास

हिन्दी भाषा का तकनीकी विकास

हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक और तकनीकी विकास

P 1 क 9. हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका परस्पर संबंध।

हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ

पश्चिमी हिंदी

पूर्वी हिन्दी

पूर्वी  VS पश्चिमी हिन्दी

पहाड़ी हिन्दी

हिन्दी और उसकी बोलियों  का अंतर्सबंध

हिन्दी के विकास में बोलियों का योगदान

P 1 क 10. नागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ और उसके सुधार के प्रयास तथा मानक हिन्दी का स्वरूप।

नागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ

नागरी लिपि के सुधार के प्रयास

मानक हिन्दी का स्वरूप

हिन्दी भाषा का परिचय/ विकास

देवनागरी लिपि का महत्त्व

P 1 क 11. मानक हिन्दी की व्याकरणिक संरचना।

मानक हिन्दी की व्याकरणिक संरचना

मानक हिन्दी के विभिन्न दृष्टिकोण

हिन्दी में लिंग व्यवस्था

समस्याएं

 

पूर्व वर्षों के प्रश्न: प्रश्नपत्र-1 खंड : ‘ख’ (हिन्दी साहित्य का इतिहास)

 

P 1 ख 1. हिन्दी साहित्य की प्रासंगिकता और महत्त्व तथा हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा।

P 1 ख 2 (क) आदिकालः सिद्ध, नाथ और रासो साहित्य। प्रमुख कविः चंदबरदाई, खुसरो, हेमचन्द्र, विद्यापति।

आदिकाल

सिद्ध साहित्य

नाथ साहित्य

रासो साहित्य

चंदबरदाई

खुसरो

हेमचन्द्र

विद्यापति

P 1 ख 2 (ख) भक्ति कालः संत काव्य धारा, सूफी काव्यधारा, कृष्ण भक्तिधारा और राम भक्तिधारा। प्रमुख कवि : कबीर, जायसी, सूर और तुलसी।

भक्ति काल

संत काव्य धारा

कबीर

सूफी काव्यधारा

जायसी

कृष्ण भक्तिधारा

सूर

राम भक्तिधारा

तुलसी

P 1 ख 2 (ग) रीतिकालः रीतिकाव्य, रीतिबद्ध काव्य, रीतिमुक्त काव्य। प्रमुख कवि : केशव, बिहारी, पदमाकर और घनानंद।

रीतिकाल

रीतिकाव्य

रीतिबद्ध काव्य

रीतिमुक्त काव्य

केशव

बिहारी

घनानंद

P 1 ख 2 (घ) आधुनिक कालः (क) नवजागरण, गद्य का विकास, भारतेन्दु मंडल। (ख) प्रमुख लेखक : भारतेन्दु, बाल कृष्ण भट्ट और प्रताप नारायण मिश्र।

नवजागरण

गद्य का विकास

भारतेन्दु मंडल, भारतेन्दु

बाल कृष्ण भट्ट

प्रताप नारायण मिश्र

P 1 ख 2 (ड.) आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ: छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, नवगीत, समकालीन कविता और जनवादी कविता। प्रमुख कवि: मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, गजानन माधव मुक्तिबोध, नागार्जुन।

आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ

छायावाद

प्रगतिवाद

प्रयोगवाद

नई कविता

नवगीत

समकालीन कविता

जनवादी कविता

मैथिलीशरण गुप्त

जयशंकर प्रसाद

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

महादेवी वर्मा

रामधारी सिंह ‘दिनकर’

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

गजानन माधव मुक्तिबोध

नागार्जुन

P 1 ख 3. कथा साहित्यः (क) उपन्यास और यथार्थवाद।

P 1 ख 3. कथा साहित्यः (ख) हिन्दी उपन्यासों का उद्भव और विकास।

P 1 ख 3. कथा साहित्यः (ग) प्रमुख उपन्यासकार: प्रेमचन्द, जैनेन्द्र, यशपाल, रेणु और भीष्म साहनी।

प्रेमचन्द

जैनेन्द्र

यशपाल

रेणु

भीष्म साहनी

P 1 ख 3. कथा साहित्यः (घ) हिन्दी कहानी का उद्भव और विकास।

P 1 ख 3. कथा साहित्यः (ड़) प्रमुख कहानीकार: प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, मोहन राकेश और कृष्णा सोबती।

प्रेमचन्द

जयशंकर प्रसाद

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

मोहन राकेश

कृष्णा सोबती।

P 1 ख 4. नाटक और रंगमंच: (क) हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास।

P 1 ख 4. नाटक और रंगमंच: (ख) प्रमुख नाटककार: भारतेन्दु, जयशंकर प्रसाद, जगदीश चंद्र माथुर, रामकुमार वर्मा, मोहन राकेश

भारतेन्दु

जयशंकर प्रसाद

जगदीश चंद्र माथुर

रामकुमार वर्मा

मोहन राकेश

P 1 ख 4. नाटक और रंगमंच: (ग) हिन्दी रंगमंच का विकास।

P 1 ख 5. आलोचना: (क) हिन्दी आलोचना का उद्भव और विकास- सैद्धांतिक, व्यावहारिक, प्रगतिवादी, मनोविश्लेषणवादी आलोचना और नई समीक्षा।

हिन्दी आलोचना/ समीक्षा का उद्भव और विकास

सैद्धांतिक

व्यावहारिक

प्रगतिवादी

मनोविश्लेषणवादी आलोचना

नई समीक्षा

P 1 ख 5 आलोचना: (ख) प्रमुख आलोचक - रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा और नगेन्द्र।

रामचन्द्र शुक्ल

हजारी प्रसाद द्विवेदी

रामविलास शर्मा

नगेन्द्र

P 1 ख 6. हिन्दी गद्य की अन्य विधाएँ: ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा वृत्तान्त।

ललित निबंध

रेखाचित्र

संस्मरण

यात्रा वृत्तान्त

 

पूर्व वर्षों के प्रश्न: प्रश्नपत्र-2 खंड : ‘क’ (पद्य साहित्य)

 

P 2 क 1. कबीर: कबीर ग्रंथावली (आरंभिक 100 पद) सं. श्याम सुन्दर दास

P 2 क 2. सूरदास: भ्रमरगीत सार (आरंभिक 100 पद) सं. रामचंद्र शुक्ल

P 2 क 3. तुलसीदास: रामचरित मानस (सुंदर काण्ड), कवितावली (उत्तर काण्ड)

P 2 क 4. जायसी: पदमावत (सिंहलद्वीप खंड और नागमती वियोग खंड) सं. श्याम सुन्दर दास

P 2 क 5. बिहारी: बिहारी रत्नाकर (आरंभिक 100 दोहे) सं. जगन्नाथ दास रत्नाकर

P 2 क 6. मैथिलीशरण गुप्त: भारत भारती

P 2 क 7. जयशंकर प्रसाद: कामायनी (चिंता और श्रद्धा सर्ग)

P 2 क 8. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला’: राग-विराग (राम की शक्ति पूजा और कुकुरमुत्ता) सं. रामविलास शर्मा

P 2 क 9. रामधारी सिंह ‘दिनकर’: कुरुक्षेत्र

P 2 क 10. अज्ञेय: आंगन के पार द्वार (असाध्यवीणा)

'शेखर : एक जीवनी'

P 2 क 11. मुक्ति बोध: ब्रह्मराक्षस

P 2 क 12. नागार्जुन: बादल को घिरते देखा है, अकाल और उसके बाद, हरिजन गाथा।

 

पूर्व वर्षों के प्रश्न: प्रश्नपत्र-2 खंड : ‘ख’ (गद्य साहित्य)

 

P 2 ख 1. भारतेन्दु: भारत दुर्दशा

P 2 ख 2. मोहन राकेश: आषाढ़ का एक दिन

P 2 ख 3. रामचंद्र शुक्ल: चिंतामणि (भाग-1), (कविता क्या है, श्रद्धा-भक्ति)

P 2 ख 4. निबंध निलय: संपादक : डॉ. सत्येन्द्र। बाल कृष्ण भट्ट, प्रेमचन्द, गुलाब राय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, अज्ञेय, कुबेरनाथ राय।

P 2 ख 5. प्रेमचंद: गोदान, ‘प्रेमचंद’ की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (संपादक : अमृत राय)

P 2 ख 6. प्रसाद: स्कंदगुप्त

P 2 ख 7. यशपाल: दिव्या

P 2 ख 8. फणीश्वरनाथ रेणु: मैला आंचल

P 2 ख 9. मन्नू भण्डारी: महाभोज

P 2 ख 10. राजेन्द्र यादव (सं.): एक दुनिया समानान्तर (सभी कहानियाँ)

P2 MISCELLANEOUS

निर्मल वर्मा

चीफ़ की दावत

MISCELLANEOUS